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लेखनी कहानी -10-Jul-2022 अतरंगी चुड़ैल

आजकल की दुनिया मैं ये कैसी विषैली सोच भर गई है 
लगता है कि कोई "अंतरंगी चुड़ैल" मन में घर कर गई है 

नफरतों की आंधियां चलने लगी है जोर से हर तरफ 
उन्मादियों की भीड़ देखो ये कैसा ताण्डव कर गई है 

"सिर तन से जुदा" के नारों से गूंज रहा है ये आसमान 
गला काटने की होड़ आजकल जेहादियों में लग गई है 

मारो काटो के शोर में कहीं विलुप्त हो गया है प्रेम "हरि" 
1947 की सी परिस्थितयां आजकल फिर से बन गई हैं 

संविधान से चलेगा या शरिया से सोचना बहुत जरूरी है 
हर प्रबुद्ध मन के अंदर यह ज्वलंत बहस छिड़ सी गई है 

श्री हरि 
10.7 22 


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5 Comments

shweta soni

17-Jul-2022 08:53 PM

Nice 👍

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Seema Priyadarshini sahay

11-Jul-2022 04:28 PM

बहुत खूबसूरत

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Gunjan Kamal

10-Jul-2022 12:03 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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